जिन्दगी

    जिन्दगी

जिन्दगी बेमतलब जिए जा रहे है। 

ना कोई आरजू ,ना कोई चाहत

ना कोई मंजिल ,ना कोई मकसद 

ना कोई एहसास ,ना कोई तड़प

बस जिए चले जा रहे है। 

कि शायद 

जीना इसी को कहते है।