फूल का जीवन 

सदाबहार के पौधे मे,
फूलो की बहार है।
मंद हवा के बहाव मे,
 फूल भी झूम रहे है।  
पूजा के लिए ,फूल तोड़ने को 
जब हाथ उठे –
तभी फूलो से आवाज़ आई।
एक टहनी के समूह ने कहा 
हमे मत तोड़ो
हम सब परिवार है।
उस समहू को छोड़ दूसरे समूह मे गई
तो मानो हर फूल कह रहा हो। 
मुझे मत तोड़ो। 
क्या करू ?
तभी एक फूल को, तोड़ने को हुई ,
एक पंखुड़ी टूट गई,फूल टूटा नहीं,
तभी जैसे मानो कहार रहा हो। 
दर्द से छटपटा रहा हो। और कह रहा हो । 
हमे तो दर्द मिलता है।
 बस नसीब तय करता है। 
 टूटने के बाद मंदिर मिलता है। या कब्र  
तभी देखा –
एक फूल मुरझा रही है। 
मानो कली  से कह रही हो। 
मेरे मुरझाने और तुम्हारे खिलने का 
समय आ गया है। 


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