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बेटी की रेल दुर्घटना मे मृत्यु

माँ दहाड़े मार -मार कर रो रही थी इर्द गिर्द चार पाँच औरते ढाढंस बँधा रही थी। माँ सबको चिल्ला चिल्ला कर बता रही थी। कि कैसे रेल दुर्घटना मे…

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 जिन्दगी

    जिन्दगी जिन्दगी बेमतलब जिए जा रहे है।  ना कोई आरजू ,ना कोई चाहत ना कोई मंजिल ,ना कोई मकसद  ना कोई एहसास ,ना कोई तड़प बस जिए चले जा…

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 पिता

 पिता पिता वो शब्द है। जो ब्रह्मा के रचयिता की जगह लेते है। जो एक बच्चे को सुख दुःख धुप छाव हर संकट से बचाते है।  एक ठोस दीवार बनकर…

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