सोने के अंडे 

किसी गाँव मे एक गरीब किसान अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पास एक मुर्गी थी। वह मुर्गी रोज सुबह एक सोने का अंडा देती थी। वह किसान रोज सुबह उठता और सोने के अंडे को बाजार जाकर बेच आता। 

इस तरह रोज सोने के अंडे बेचकर कुछ ही समय मे वह किसान बहुत दौलतमंद हो गया। अब उसकी गिनती वहाँ के गिने चुने व्यक्तियों में  होने लगी। वह बहुत खुश था। लेकिन अब वह लालची व्यक्ति बन गया। एक बार वह अपने धन का हिसाब लगा रहा था तभी अचानक उसके मन मे विचार आया। उसने सोचा ,यह मुर्गी हर सुबह सोने का अंडा देती है। इसका मतलब इसके पेट मे ऐसे ही बहुत सारे अंडे होगे। मै इस मुर्गी का पेट चीरकर सभी सोने के अंडे निकल लूँगा। इन अंडो को बेचकर मै गाँव का सबसे ज्यादा अमीर व्यक्ति बन जाऊँगा।

 यह सोचते हुए किसान ने तुरंत चाकू से  मुर्गी का पेट चीर दिया। उसने देखा कि मुर्गी का पेट खाली था। और उसमे एक भी सोने का अंडा नहीं था। उसे अब किए पर दुःख होने लगा ,लेकिन अब भला क्या हो सकता था ? वह अपने लालच के कारण अपनी सोने के अंडे देने वाली मुर्गी से हाथ धो चूका था। सीख :लालच बुरी बला है।