राजा और बूढ़ा आदमी

महाराजा उदय सिंह ने अपने राज्य के दूरदूर के गांवो मे घूमने का निश्चय किया वे जानना चाहते थे कि उनके राज्य के निवासी किस तरह अपना जीवन जीते है। जब एक छोटे से गांव मे पहुंचे ,तो उन्होंने एक बूढ़े आदमी को आम का पेड़ लगाते हुए देखा। राजा अपने मंत्रियो की ओर मुड़े और बोले ,”यह बूढ़ा आदमी निश्चित ही बेवकूफ है। जब यह अधिक दिनों तक जिन्दा नहीं रहने वाला है तब वह अपनी मेहनत से लगाए इन फलो का आनंद कैसे ले सकेगा। फिर भी देखो कि वह पौधे लगा रहा है। “सभी मंत्री राजा उदय सिंह के विचार से सहमत थे। राजा ने कहा मुझे उस बेवकूफ आदमी के पास जरूर जाना चाहिए और उसे बताना चाहिए कि वह जिन पेड़ो को लगा रहा है। उन के फलो को खा नहीं पाएगा। “राजा उस बूढ़े आदमी के पास गए और पूछा ,तुम्हारी कितनी उम्र है ?” बूढ़ा आदमी आपने पैरो पर सीधा खड़ा हुआ और राजा उदय सिंह की ओर देखने लगा। “मै 80 साल का हूँ। “बूढ़े आदमी ने राजा के प्रश्न का उत्तर नर्मता से दिया। राजा ने फिर दुबारा पूछा , “तुम्हारे लिए मेरे पास एक प्रश्न और है क्या तुम नहीं जानते हो कि इन पौधों में कई वर्षो के बाद फल लगेंगे ? क्या तुम यह सोचते हो कि तुम इन के फलो को खाने का आनंद ले सकोगे ? और ना ही तुम इन फलो को खा सकोगे ?” मै जानता हूँ कि जब ये फल देना शुरू करेंगे तब तक मै जिन्दा नहीं बचूँगा । लेकिन मै वही कर रहा हूँ जो मेरे पूर्वज पहले कर के गए है उन्होंने एक पेड़ को लगाया था ताकि मै उस पेड़ के फल को खाने का आनंद ले सकू। अब मेरा भी कर्तव्य है। कि मै भी कुछ पेड़ लगाऊ। ताकि इन फलो का आनंद मेरे पोते -पोतिया उठा सके। राजा बूढ़े के निस्वार्थ काम से बहुत खुश हुए। और बूढ़े को इनाम मे कुछ सोने के सिक्के दिए। बूढ़ा आदमी खुश होकर राजा से बोला कि “इस पेड़ ने तो लगाते ही मुझे फल दे दिए सोने के सिक्के मिल गए। “राजा मुस्कुराया और अपने मंत्रियो के साथ महल कि और चल दिए। और महल पहुँचकर राजा ने राज्य मे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने के लिए आदेश दिया। ताकि आने वाली बाद कि पीढ़ी उन फलो को खाने का लुफ्त उठा सके।