माँ दहाड़े मार -मार कर रो रही थी इर्द गिर्द चार पाँच औरते ढाढंस बँधा रही थी। माँ सबको चिल्ला चिल्ला कर बता रही थी। कि कैसे रेल दुर्घटना मे बेटी की मृत्यु हो गई ।
रेल कर्मचारी बाहर मुआवजा देने के लिए हाथ बाँधे खड़े थे। दूसरी जगह पिता जमखट लगाए रिश्तेदारों,पड़ोसियो और दोस्तो को रो- रो कर अपनी 18 वर्षीय बेटी के बारे मे बता रहे थे। कि उनकी बेटी डॉक्टर बनना चाह रही थी। पर पिता को अंदर से डर लग रहा था। कि कही भूर्ण हत्या वाली बात पत्नी बोल ना दे। कि डॉक्टर के धमकाने पर भूर्ण हत्या नहीं कराई थी। क्योकि उसकी पत्नी कि मृत्यु हो सकती थी।
माँ भी अंदर से डर रही थी कि कही पड़ोसी या रिश्तेदार ना बता दे। कि बेटी की आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई बंद करवा दी थी। वो एन डी एम सी के स्कूल में इसलिए भेज देते थे। कि स्कूल मे मिडे-मिल, किताबे और वरदिया फ्री मे मिल जाती थी। और नई कक्षा में जाने पर पुरानी किताबे कबाड़ी को बेचने के काम आती थी। 40 -50 रुपए का मुनाफा मिल जाता था। छोटा भाई जो 15 -16 साल का था। सोच रहा था। कि दीदी डॉक्टर कैसे बनती। दीदी की तो पढ़ाई छुड़वा दी गयी थी। जिनका रिश्ता ढूढ़ा जा रहा था।
छोटी बहन भी सोच रही थी। कि उसे अब घर का सारा काम करना पड़ेगा। क्योकि अभी तक सारा दिन दीदी घरेलू कार्यो मे लगी रहती थी।
और तभी रेलवे कर्मचारी ने माहौल को शांत करने के लिए रेलवे विभाग की तरफ से 2 लाख का चैक पकड़ा दिया। और हाथ जोड़ते हुए अपनी राह पकड़ ली। और भीड़ भी छटने लगी। अब माँ -पिता के आँसू कम गिरने शुरू हुए।
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