बुढ़िया की इज्जत बच गई
एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसको उसके परिवार में कोई ध्यान नहीं देता था। एक दिन सोचा कि मैं कहीं दूर चली जाती हूँ। तो सब मुझे ढूंढते हुए आएंगे। वह सुबह गांव के बाहर चली गई। परंतु उसको सुबह से शाम हो गई वह भूखे प्यासे गांव के बाहर बैठी रही परंतु उसको कोई भी ढूंढने नहीं आया। वह उदास होकर बैठ गई की वापस अब घर कैसे जाए। तभी एक चरवाहा दिखाई दिया। वह गांव वापस सारी भेड़ बकरियों को लेकर जा रहा था। उसने गांव वापस जाने का एक उपाय सोचा उसने एक बकरी का कान पकड़ा और उसको बोलने लगी बकरी मुझे वापस मत ले चलो मैं घर नहीं जाऊंगी ,यही कहते हुए बकरी का कान पकड़कर वापस गांव आ गई । अब उसको मालूम हो गया था। कि किसी को उसकी परवाह नहीं है। और अभी तक मालूम भी नहीं है। कि वह नाराज होकर गांव के बाहर चली गई थी। अब उसकी इज्जत बच गई वह दोबारा कभी नाराज नहीं हुई ।

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