बात पुराने समय की है। एक व्यपारी और उसका बेटा व्यापार के लिए दूसरे देश जाते है। रास्ते मे ऊँट बेचने वाला मिलता है। ऊँट बेचने वाला कहता है। साहब ऊँट खरीद लो। बेटा पिता से कहता है। पिताजी ऊँट ले लो। ऊँट बेचने वाला भी खरीदने के लिए जोर देता है। साहब 2 रूपये का ऊँट है। पर पिता ऊँट लेने को मना कर देता है। और कहता है। बेटा रहने दो ऊँट महँगा है। बेटा चुप हो जाता है। और दोनों बाप बेटे आगे बढ़ जाते है। कुछ महीने के बाद बाप बेटे धन कमा कर उसी रास्ते से लौट रहे होते है। उन्हें ऊँट बेचने वाला उसी जगह मिलता है। ऊँट बेचने वाला कहता है। साहब ऊँट खरीद खरीद लीजिये। 10 रूपये का ऊँट है। पिता कहता है। बेटा सस्ता ऊँट मिल रहा है। बेटा ले लो। बेटा 10 रूपये देकर ऊँट खरीद लेता है। अब बेटे को पिता के साथ काम करके ,पिता से बात करने की हिम्मत आ गई थी। बेटा पिता से पूछता है। पिताजी जब ऊँट 2 रुपये का था ,तो आपने कहा, कि ऊँट महँगा है। अब हमें 10 रूपये का मिला ,तो आप कहते है। ऊँट सस्ता है। ऐसा क्यों कहा ,आपने पिताजी। पिता ने बेटे को समझाते हुए कहा ,कि बेटा जब हम व्यापार करने जा रहे थे। तो हमारे पास खुद कही रहने व खाने पीने का ठिकाना नहीं था। तो हम ऊँट को क्या खिलाते पिलाते?कहाँ रखते? साथ मे ऊँट चोरी होने का हमेशा डर लगा रहता। उस समय पैसो की हमे ही जरुरत थी। और बेटा जरुरी भी नहीं था। कि हमारा व्यापार चलता। और हम धन कमा पाते। अब बेटे को पिता की बात समझ आ गई।
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Certificate Of Appreciation Kanchan Thakur Writer
- Posted byby Kanchan Thakur
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