पिता

 पिता

पिता वो शब्द है। जो ब्रह्मा के रचयिता की जगह लेते है।

जो एक बच्चे को सुख दुःख धुप छाव हर संकट से बचाते है। 

एक ठोस दीवार बनकर सामने खड़े होते है। 

जिनके नाम से हर बच्चे को अपनी लक्ष्मण रेखा का दायरा पता होता है।

वो एक बच्चे का वजूद और पहचान होते है। 

जो एक करोड़ो की भीड़ मे स्तम्भ बनकर खड़े होते है।